राजघाट पर बनेगा इको फ्रेंडली शवदाह गृह
राप्ती नदी के राजघाट पर बनाए जा रहे ओपेन मॉडल शवदाह गृह के साथ ही दो विशेष तरह के शवदाह गृह भी बनाए जाएंगे। दोनों शवदाह गृह ऊर्जा मॉडल पर आधारित होंगे। इको फ्रेंडली शवदाह गृह से प्रदूषण काफी कम होगा तथा लकड़ी भी कम लगेगी। नगर निगम ने इसका प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है।
राजघाट पर नगर निगम द्वारा मॉडल शवदाह गृह का निर्माण कराया जा रहा है। यहां एक साथ दस शव का दाहसंस्कार हो सकेगा। इसी महीने इसका निर्माण कार्य भी पूरा कर लिया जाएगा। नगर निगम द्वारा राप्ती नदी के तट पर प्रदूषण मुक्त लकड़ी आधारित शवदाह संयंत्र (ऊर्जा मॉडल) लगाने के लिए प्रमुख सचिव नगर विकास को प्रस्ताव भेजा गया है। इन संयंत्र पर लगभग एक करोड़ रुपए खर्च होंगे।
नहीं होगा प्रदूषण
गैसी फायर आधारित शवदाहगृह में प्रदूषण पर अंकुश लगाने को चिमनी लगाई जाएगी। इससे धुआं निकलेगा। यह धुआं पानी के टैंक से होकर गुजरेगा जिससे खतरनाक रसायन पर्यावरण में नहीं पहुंच सकेंगे। आम तौर पर एक शव के दाहसंस्कार में दो से ढाई कुंतल लकड़ी लगती है, गैसीफायर आधारित शवदाहगृह में 60 से 70 किलो लकड़ी ही लगेगी।
बोले मुख्य अभियंता
ऊर्जा मॉडल संयंत्र लगाने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। इस संयंत्र के लग जाने से शवदाह से होने वाला प्रदूषण काफी कम होगा। लकड़ी की खपत भी कम होगी।
- सुरेश चंद, मुख्य अभियंता, नगर निगम