इजराइल की तकनीक से रोकेंगे झपकी से होने वाले बस हादसे
रोडवेज बस ड्राइवरों की झपकी से होने वाले हादसों से बचाव को लेकर परिवहन निगम ने इजराइल द्वारा विकसित तकनीक का सहारा लिया है। इस तकनीक से ऐसी डिवाइस विकसित की गई है, जिसमें ड्राइवर को नींद आते ही बस में सायरन बजने लगेगा। कंडक्टर और यात्री सचेत हो जाएंगे और अधिकारियों के मोबाइल पर मैसेज भी चला जाएगा। लखनऊ डिपो में सफल ट्रायल के बाद रात्रिकालीन बस सेवा में इस डिवाइस को लगाने की तैयारी चल रही है।
इजराइल की तकनीक पर भारत की पुणे में एक कंपनी ने एंटी स्लीप डिवाइस तैयार की है। फिलहाल, अवध डिपो में रात्रि कालीन एक दर्जन बसों में इस डिवाइस को लगाया गया है। करीब महीने भर पहले लगी डिवाइस का परीक्षण सफल रहा है। इसके बाद इसे गोरखपुर परिक्षेत्र की बसों में लगाने की कवायद चल रही है। पहले चरण में रात्रिकालीन जनरथ, स्कैनिया और वोल्वो बसों में इसे लगाया जाएगा। गोरखपुर डिपो के स्टेशन अधीक्षक धनजी राम का कहना है कि अवध डिपो की बसों में ट्रायल सफल रहा है। अब इसे गोरखपुर परिक्षेत्र के बसों में लगाने की तैयारी चल रही है।
ऐसे काम करेगी डिवाइस
एंटी स्लीप डिवाइस बस की स्टेयरिंग के सामने लगाई जाएगी। यह ड्राइवर का फेस रीड करने के बाद एक्टिव होगी। सेंसर से ड्राइवर की फेस रीड होगी। असमान्य गतिविधि पर डिवाइस द्वारा लाल रंग की तेज रोशनी ड्राइवर के चेहरे पर जाएगी। इसके बाद डिवाइस बीप देगी। ड्राइवर एक्टिव नहीं हुआ तो तेज आवाज के साथ डिवाइस सायरन बजाएगी। आवाज इसलिए होगी ताकि यात्री एवं परिचालक भी सर्तक हो जाएं। इसके साथ ही डिवाइस चार सेकेंड के अंदर परिवहन निगम के अधिकारियों के मोबाइल पर मैसेज भी भेज देगी।
ड्राइवरों को झपकी आने से हुए हैं हादसे
परिवहन निगम में ड्राइवरों को झपकी आने से हर साल कई हादसे होते हैं। पिछले वर्ष जुलाई में रोडवेज की डबल डेकर बस (यूपी 33-5877) एक्सप्रेस-वे पर आगरा के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। जिसमें 29 मुसाफिरों की मौत हो गई, जबकि 23 घायल हो गए थे। जांच में खुलासा हुआ था कि ड्राइवर को झपकी आने से यह हादसा हुआ था। जुलाई महीने में ही निचलौल डिपो की बस एक्सप्रेस-वे पर इटावा के पास डिवाइडर पर चढ़ गई थी। यहां भी हादसा ड्राइवर को झपकी आने से हुआ है।
बोले जिम्मेदार
अवध डिपो की बसों में सफल ट्रायल के बाद रात्रिकालीन बसों में एंटी स्लीप डिवाइस को लगाने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इससे ड्राइवरों को काफी राहत मिलने की उम्मीद है। हालांकि हादसों से बचने के लिए लंबी दूरी की बसों में तेज तर्रार के साथ ही दो ड्राइवर भेजने की व्यवस्था है।