मनहूस 14 : वैलेंटाइंस डे तो दूर यहां लोग जन्मदिन भी नहीं मनाते

मनहूस 14 : वैलेंटाइंस डे तो दूर यहां लोग जन्मदिन भी नहीं मनाते


14 फरवरी 2019, करोड़ों भारतीयों की आंखों में इस दिन आंसू थे। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों ने सीआरपीएफ के काफिले पर हमला करके हमारे 40 जवानों की जान ले ली। जैश ए मोहम्मद के इस हमले (Pulwama Attack) ने पूरे देश को सदमे में डाल दिया। वैसे तो 14 फरवरी के दिन वेलेंटाइंस डे के रूप में मनाया जाता है, लेकिन जवानों के लिए ये दिन हिंसा और नफरत का सैलाब लेकर आया। इन जवानों के परिवारों के लिए यह 14 मनहूस साबित हुआ। लेकिन हम जो कहानी बताने जा रहे हैं वह भी 14 की मनहूसियत से जुड़ी हुई है। यह कहानी है उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्य नाथ के गृह जिले गोरखपुर की।


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गोरखपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर ब्रह्मपुर, मीठाबेल और चौरी गांव में आधुनिकता की रौशनी पहुंच चुकी है। बच्‍चे, बूढ़े या नौजवान, हाथ में स्‍मार्ट फोन लिए दिख जाएंगे। ट्विटर, फेसबुक या फिर इंस्‍टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर यहां के युवाओं की दमदार उपस्‍थिति है। जाहिर है आपको लगता होगा कि यहां के युवाओं को भी 14 फरवरी यानि वेलेंटाइंस डे का इंतजार है। जी नहीं।


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जब दुनिया भर के युवा 14 फरवरी यानि वेलेंटाइंस डे (Valentine Day  2020) का बेसब्री से इंतजार कर रहे होते हैं तो इन कस्बों के जवां दिलों की धड़कनें इस दिन के करीब आते ही और तेज़ हो जाती हैं। ये धड़कनें इज़हार-ए-मोहब्बत के लिए नहीं बल्कि इस मनहूस 14 के लिए। जी हां यह वेलेंटाइन डे यानी 14 को छोड़कर किसी और तारीख को पड़ता तो हज़ारों युवाओं के अरमान ठंडे नहीं पड़ते।


गोरखपुर और बस्ती मंडल में मनहूस 14


गोरखपुर और बस्ती मंडल के कई गावों में 14 का खौफ है। वैसे तो यह खौफ हिन्दू कैलेंडर के चतुर्दशी से था, लेकिन कालांतर में यह 14 की संख्या से जुड़ गया। मीठाबेल, ब्रह्मपुर, चौरी, नेवास, घूरपाली, पैसोना और बलौली के लोगों में यह खौफ ऐसा वैसा नहीं है। यहां 14 का खौफ इस कदर है कि किसी भी महीने की 14 तारीख को न तो कोई डोली उठी और न ही किसी के सिर पर सेहरा सजा। यहां तक कि किसी दुकान पर आप 14 रुपये सामान खरीदते हैं तो आपको 15 रुपये देने पड़ेंगे। अगर आप जिद पर अड़ गए तो दुकानदार 13 रुपये ही लेगा।


गांव से दूर शहरों में रहने वालों में भी खौफ


ब्राह्मण बहुल इन गांवों में पढ़े-लिखों की कमी नहीं हैं। इस इलाके के अधिकतर लोग ग्रेजुएट और पोस्‍ट ग्रेजुएट हैं। महिलाएं भी ज्‍यादा पढ़ी-लिखी हैं। भारत का शायद ही कोई चीनी मिल नहीं है जहां इस इस इलाके का कोई व्‍यक्‍ति काम न करता हो, वह भी पैनकुली से लेकर जीएम तक के पोस्‍ट पर। असम के गुवाहाटी में अपना बिजनेस जमा चुके मीठाबेल के टंकेश्‍वर दूबे कहते हैं," किसी भी महीने की 14 तारीख या यूं कहें चतुर्दशी को हम लोग शुभकार्य नहीं करते। गांव से हजारों किलोमीटर दूर रह रहा हूं, लेकिन इस बात का मुझे हमेशा ख्‍याल रखना पड़ता है।''


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टंकेश्‍वर आगे बताते हुए कहते हैं,' 17 साल पहले मेरी बहन की शादी गोरखपुर में हुई थी। जिस दिन शादी हुई वह तारीख 14 तो नहीं थी, लेकिन उस दिन आंशिक रूप से चतुर्दशी पड़ रही थी। शादी के तीसरे दिन ही बहन-बहनोई के साथ हादसा हो गया। कार एक्‍सीडेंट में घायल बहनोई कई महीनों तक बिस्‍तर पर पड़े रहे, बहन को गंभीर चोटें आईं। किसी तरह उनकी जान बच गई। '